समाजिक दृष्टि से कोरोना महामारी का होगा अंत, आम लोग ही देंगे इसे मात

समाजिक दृष्टि से कोरोना महामारी का होगा अंत, आम लोग ही देंगे इसे मात

सेहतराग टीम

चीन के वुहान शहर से पनपा कोरोना वायरस इस समय पूरी दुनिया में फैलकर तबाही मचा रहा है। इसकी वजह से तकरीबन 2.5 लाख से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवा दी है, वहीं करीब 43 लाख लोग प्रभावित हुए है। इतने कम समय में इतने लोगों तक पहुचने वाले कोरोना वायरस से पूरा विश्व डरा हुआ है। इसलिए लगातार इससे बचने के तरीके और दवाओं की खोज हो रही है लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है। वहीं लोगों के मन में सवाल भी खड़ा हो रहा है कि आखिर इस महामारी का अंत कैसे होगा और कब होगा। इस बात का जवाब अभी विशेषज्ञों के पास नहीं है। दो तरह के जवाब इस सवाल के हो सकते हैं। पहला, मेडिकल टर्म में बात करें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) इसकी घोषणा करेगा कि कोरोना का संक्रमण अब महामारी नहीं रहा।

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हालांकि इसके मानक तो अब तक डब्ल्यूएचओ ने भी तय नहीं किए। दूसरा, लोग खुद कोरोना वायरस से ऊब जाएंगे और जीवन को भले ही खतरे में डालना पड़े, उन्हें सामान्य जनजीवन में लौटना पड़ेगा। न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार तमाम विशेषज्ञ मानते हैं कि महामारी के अंत की अनौपचारिक घोषणा आम लोग ही करेंगे। हालांकि अब तक देखा गया है कि किसी महामारी के अंत की आधिकारिक घोषणा के बाद भी लोगों में बीमारी का खौफ रहता है।

मन के जीते जीत: 

कहा जाता है कि मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। कोरोना के खिलाफ भी ऐसा ही है। दुनियाभर के विशेषज्ञ मानते हैं कि कोई भी बीमारी तब तक हावी रहती है जब तक उसका खौफ रहता है। न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार डबलिन के रॉयल कॉलेज ऑफ सर्जंस की डॉ. सुसेन मुरे बताती हैं कि बिना किसी महामारी के भी उस बीमारी का खौफ पैदा हो जाता है। जैसा इबोला को लेकर इंग्लैंड में पैदा हो गया था। ऐसे ही, इसका उल्टा भी हो सकता है। हमें कुछ इंतजार करना होगा। खौफ खत्म होने तक ही कोई बीमारी महामारी होती है।

शारीरिक दूरी से परेशानी: 

जॉन हॉपकिंस इंस्टीट्यूट के चिकित्सा विभाग के इतिहासकार डॉ. जेरमी ग्रीन कहते हैं कि जब लोग पूछते हैं कि महामारी का अंत कब होगा। दरअसल, वह पूछते हैं कि शारीरिक दूरी का अंत कब होगा। दूसरे शब्दों में कहूं तो महामारी का अंत नहीं होगा, बल्कि लोग डर के माहौल से खुद ही बाहर निकलने को तैयार हो जाएंगे। वह कोरोना वायरस के संक्रमण के साथ रहने के लिए तैयार हो जाएंगे। यह कुछ हद तक होने भी लगा है। डॉ. नाओमी रोजर्स बताती हैं कि स्वास्थ्य सेवाओं के विशेषज्ञों की चेतावनी के बावजूद अमेरिका के कई राज्यों में गवर्नर शारीरिक दूरी के नियम में ढील दे रहे हैं। हेयर सैलून से लेकर जिम तक को खोलने की इजाजत दी जा रही है।

अजीब होगा अंत: 

यूनिर्विसटी ऑफ एक्सटेर की चिकित्सा इतिहासकार डोरा वारघा कहती हैं कि अंत बहुत साफ नहीं होगा। यह काफी बेतरतीब तरीके से होगा। इतिहास में हमें ऐसा कोई वाकया नहीं मिलता है जो हमें कोरोना महामारी के अंत के बारे में इशारा कर सकता हो। डॉ. नाओमी रोजर्स कहती हैं कि महामारी के अंत की घोषणा कौन करेगा। अगर आप जनधारणा के खिलाफ जाएंगे तो टकराव निश्चित है। आपको यह तय करना होगा कि यह अंत नहीं है। डॉ. ब्रंट कहते हैं कि कोई चीज अचानक नहीं होगी। जीत की शायद कोई घोषणा नहीं होगी। नियमों से ऊबे लोग खुद ही धीरे-धीरे महामारी के अंत की कहानी लिख देंगे।

सामाजिक रूप से खत्म हो जाएगी महामारी: 

चिकित्सा इतिहासकार बताते हैं कि यह बहुत पुख्ता रूप से संभव है कि चिकित्सा विज्ञान की दृष्टि से नहीं, समाजिक दृष्टि से कोरोना महामारी का अंत होगा। संभव है कि कोरोना संक्रमण फैलता रहे। तमाम मरीज जान भी गंवाएं। मगर लोग लॉकडाउन के प्रतिबंधों और शारीरिक दूरी के नियम से ऊब जाएंगे। इस बात के पुख्ता सुबूत मिल रहे हैं कि लोग बेचैन हो रहे हैं। येल यूनिर्विसटी की चिकित्सा इतिहासकार नाओमी रोजर्स कहती हैं कि लोग मानसिक रूप से ऊब चुके हैं और परेशान हैं। यह अब कभी भी हो सकता है कि आम लोग कहने लगे कि बहुत हो चुका। हमें अपनी समान्य दिनचर्या में लौटना है। यही महामारी का अंत होगा।

हम अर्थव्यवस्था को खोलने को लेकर बहस कर रहे हैं। काफी ज्यादा सवाल महामारी के अंत को लेकर किए जा रहे हैं। मेरे खयाल से अंत चिकित्सा और जन स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के जरिये नहीं होगा, बल्कि यह सामाजिक प्रक्रिया के जरिये होगा।

 

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